इंटरनेट डेस्क। केंद्र सरकार ने लोकसभा में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहते पर पद से हटाएं जाने का विधेयक पेश कर दिया। इस बिल का विरोध हो रहा हैं, इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों केरल के दौरे पर हैं, उन्होंने केंद्र सरकार के बिल का भी जिक्र किया। अमित शाह ने एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री जेल जाने के बाद भी सरकार चला रहे थे, अगर जेल जाने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया होता, तो आज इस बिल की जरूरत ही नहीं होती।

विपक्ष को लिया निशाने पर
मीडिया रिपोटर्स की माने तो अमित शाह ने कहा कि क्या देश की जनता चाहती है कि कोई भी मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? उन्होंने कहा कि विपक्षी दल कहते हैं कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान पहले क्यों नहीं हुआ? अरे, जब संविधान बना था, तब ऐसे निर्लज्ज लोगों की कल्पना ही नहीं की गई थी कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देंगे, साथ ही कहा कि ये बिल किसी पार्टी के लिए नहीं है, ये बिल भाजपा के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा और प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा।

केजरीवाल के लिए क्या कहा
जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि 70 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी, जिसमें कई मंत्री और मुख्यमंत्री जेल गए थे और जेल जाने से पहले सबने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कुछ समय पहले एक घटना हुई, जिसमें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री जेल जाने के बाद भी सरकार चला रहे थे। तो सवाल उठता है कि संविधान बदलना चाहिए या नहीं बदलना चाहिए? लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है।
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