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अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद और डिफेंस डील का नया अध्याय

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से यह टैरिफ लागू हो जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि अब भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लागू होगा। यह फैसला भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को और तनावपूर्ण बना सकता है। लेकिन इसी बीच दोनों देशों के बीच एक बड़ा डिफेंस डील भी अंतिम चरण में पहुंच गया है, जो रणनीतिक संबंधों को नई मजबूती देगा।

नया डिफेंस डील – 97 तेजस विमानों के लिए 113 इंजन

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच 113 GE-404 इंजन खरीदने का समझौता लगभग तय हो चुका है। ये इंजन भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान LCA मार्क 1A तेजस के लिए खरीदे जाएंगे। इस डील की अनुमानित कीमत एक बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 87 अरब रुपये) से अधिक बताई जा रही है। यह समझौता पहले हुए अनुबंध से अलग है। इससे पहले भारत ने अमेरिका से 99 GE-404 इंजन खरीदने का अनुबंध किया था, जो कि 83 तेजस मार्क 1A विमानों के लिए था। नया समझौता आने वाले 97 विमानों के लिए होगा।

क्यों जरूरी है यह डील?

भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद के बावजूद यह रक्षा डील इसलिए अहम है क्योंकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को इंजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करनी है। स्वदेशी तेजस विमान कार्यक्रम भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनने जा रहा है, ऐसे में इंजन की आपूर्ति में कोई रुकावट राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डाल सकती है। भारत के रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर HAL को समय पर इंजन मिलते रहे, तो न केवल तेजस विमानों का उत्पादन समय पर होगा बल्कि भारत के मेक इन इंडिया डिफेंस प्रोग्राम को भी मजबूती मिलेगी।

डिलीवरी टाइमलाइन

रक्षा समझौते के तहत तय हुआ है कि भारत को अमेरिका से इंजन की आपूर्ति धीरे-धीरे मिलेगी।

  • पहले से ऑर्डर किए गए 83 विमानों की डिलीवरी 2029-30 तक पूरी होगी।

  • नए 97 विमानों की डिलीवरी 2033-34 तक होगी।

  • अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) हर महीने भारत को दो इंजन उपलब्ध कराएगी।

यह शेड्यूल भारतीय वायुसेना की लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा करेगा और आने वाले दशकों तक तेजस बेड़े की ताकत बनाए रखेगा।

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का बड़ा सौदा

दिलचस्प बात यह है कि HAL और GE के बीच एक अलग समझौते पर भी बातचीत चल रही है। इस डील के तहत भारत GE-414 इंजन खरीदेगा, जिसकी कीमत लगभग 1.5 अरब डॉलर होगी। इस समझौते की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें 80 फीसदी तक तकनीक हस्तांतरण शामिल होगा। इस तकनीक हस्तांतरण से भारत को न सिर्फ इंजन असेंबल करने बल्कि भविष्य में खुद इंजन बनाने की क्षमता भी मिलेगी। GE-414 इंजन आने वाले LCA मार्क 2 और AMCA प्रोग्राम के लिए उपयोग किए जाएंगे। यह डील भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम होगी।

रणनीतिक महत्व

भारत और अमेरिका के बीच यह डिफेंस डील ऐसे समय हो रही है जब दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते टैरिफ विवाद से गुजर रहे हैं। एक तरफ अमेरिका ने भारत पर आयात शुल्क बढ़ाकर दबाव बनाने की कोशिश की है, तो दूसरी तरफ भारत ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग का रास्ता चुना है। विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा सहयोग दोनों देशों के रिश्तों में बैलेंस बनाए रखेगा। अमेरिका भारत को एशिया में एक भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार मानता है, जबकि भारत के लिए अमेरिकी तकनीक और इंजन उसकी वायुसेना की क्षमता बढ़ाने में बेहद अहम हैं।

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