देशभर में इन दिनों नवरात्रि की धूम है। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो चुकी है और 2 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन एवं दशहरा के साथ इसका समापन होगा। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। जगह-जगह पंडालों और मंदिरों में भव्य आयोजन हो रहे हैं और श्रद्धालु माता रानी की आराधना में लीन दिखाई दे रहे हैं।
नवरात्रि का यह पर्व आस्था और अनुशासन दोनों का प्रतीक है। इस दौरान कई लोग व्रत रखते हैं और उससे जुड़े नियमों का पालन करते हैं। व्रत के दौरान मांस-मछली का सेवन पूरी तरह निषिद्ध होता है। इतना ही नहीं, इस दौरान लहसुन और प्याज खाने की भी मनाही होती है। व्रतधारी लोग फलाहार और सात्विक भोजन करते हैं, जिसमें साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा और आलू जैसी चीजें शामिल होती हैं।
नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी गहरा है। इन दिनों हर जगह उत्सव का माहौल होता है। बाजारों में रौनक बढ़ जाती है, गरबा और डांडिया जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और लोग परिवार व मित्रों के साथ इस पर्व का आनंद लेते हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि नवरात्रि आत्मअनुशासन और शुद्धता का संदेश देता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों तक साधना और संयम से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। देवी दुर्गा की उपासना करने से शक्ति, समृद्धि और साहस की प्राप्ति होती है।
देशभर में इस दौरान मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। सुबह-शाम आरती के दौरान मंदिरों में गूंजते भजन और मंत्र वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, हर जगह नवरात्रि का उल्लास देखने को मिल रहा है।
नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पाँचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, जिसमें छोटी-छोटी बच्चियों को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से भी नवरात्रि बेहद खास है। इसे शक्ति की उपासना का पर्व माना जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि माता रानी की भक्ति करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
2 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन और दशहरा के साथ नवरात्रि का यह पर्व संपन्न होगा। विजयादशमी का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन रावण दहन के आयोजन होते हैं और रामलीला मंचन के जरिए भगवान श्रीराम की लीलाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
कुल मिलाकर, नवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और जीवन में अनुशासन, शुद्धता व सकारात्मकता का संदेश देने वाला पर्व है।
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