क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के अनुसार, हेड कांस्टेबल अमरीश कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि फरार आरोपी थिल्लू अब उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों पर छिपा हुआ है। जांच में यह भी पता चला कि वह साधु बनकर धर्मशालाओं में रहता है और कई मंदिरों में घूम रहा है। 2023 में उसकी गतिविधियां कन्याकुमारी में देखी गई थीं, लेकिन वह वहां से निकलकर ओडिशा के जगन्नाथ पुरी चला गया था।
पुलिस ने निभाई ‘स्वयंसेवक’ की भूमिकाथिल्लू की गिरफ्तारी किसी आम ऑपरेशन जैसी नहीं थी। एसीपी रमेश चंद्र लांबा के नेतृत्व में बनी टीम ने ऋषिकेश के गीता भवन घाट क्षेत्र में तीन दिन तक स्वयंसेवकों की तरह मंदिरों में भंडारा बांटा, ताकि वे साधुओं के बीच घुलमिल सकें और आरोपी की पहचान कर सकें।
टीम ने लगातार तीन दिन घाट नंबर 3 पर सेवाएं दीं और अंततः संदिग्ध की पहचान कर ली। इसके बाद बिना किसी हंगामे के गैंगस्टर को हिरासत में ले लिया गया।
वेश बदलने में माहिर था थिल्लूथिल्लू की गिरफ्तारी इसलिए और भी चुनौतीपूर्ण रही क्योंकि उसने न केवल वेश बदला था, बल्कि अपना नाम-पता भी बदल लिया था। पुलिस के अनुसार, वह बेहद सतर्क और चालाक था। लगातार जगह बदलना, कम संपर्क रखना और मंदिरों जैसी सुरक्षित जगहों पर छिपना उसकी योजना का हिस्सा था।
गिरफ्तारी से खुल सकती हैं पुरानी फाइलें27 साल से फरार चल रहा थिल्लू कई गंभीर अपराधों में वांछित रहा है। पुलिस को उम्मीद है कि उसकी गिरफ्तारी से कई पुराने अनसुलझे मामलों की परतें खुल सकती हैं। उसे जल्द ही दिल्ली लाया जाएगा और पूछताछ के बाद अन्य नेटवर्क का भी भंडाफोड़ किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
यह मामला दर्शाता है कि समय चाहे जितना भी बीत जाए, अपराधी कानून से बच नहीं सकते। पुलिस की सूझबूझ और रणनीति ने एक ऐसे शातिर अपराधी को पकड़ने में सफलता हासिल की, जो खुद को साधु बनाकर समाज की आंखों में धूल झोंक रहा था।
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