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एक महीने तक कैब ड्राइवर के साथ रही युवती, उसके घर में BF से बनाती थी शारीरिक संबंध, फिर जो हाल किया....

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मुंबई जिसे देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, वहां एक ऐसा खौफनाक मामला सामने आया है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है। यह कहानी प्रेम, लालच, विश्वासघात और हत्या की है। जहां एक मासूम कैब ड्राइवर ने एक युवती की मदद की, उसे सहारा दिया, लेकिन उसी लड़की ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर उसका न सिर्फ कत्ल किया, बल्कि उसकी आंखें तक निकाल दीं।

कहानी की शुरुआत: एक मदद जो जानलेवा बन गई

44 वर्षीय संजय पांडे, उल्वे, नवी मुंबई में टैक्सी चलाकर जीवन यापन करते थे। कुछ महीने पहले उनकी टैक्सी में 19 वर्षीय रिया सरकन्या सिंह नाम की युवती सफर कर रही थी। यात्रा के दौरान रिया ने अपनी मजबूरी और बेरोजगारी की कहानी सुनाई, जिससे संजय पिघल गए। उन्होंने न सिर्फ उसे अपने घर में रहने की इजाजत दी, बल्कि नौकरी भी दिलवाई।

लेकिन संजय को क्या पता था कि वह जिसे सहारा दे रहे हैं, वही उनकी ज़िंदगी लूट लेगी।

सोशल मीडिया पर शुरू हुआ प्यार, बना खौफनाक प्लान

रिया का नासिक निवासी 21 वर्षीय विशाल शिंदे से सोशल मीडिया पर संपर्क हुआ। जल्द ही यह दोस्ती प्यार में बदल गई। रिया, संजय के घर में रहते हुए भी विशाल से मिलने नासिक चली जाती थी। इस बात को लेकर संजय नाराज रहने लगा और उसने रिया पर उसके साथ रहने का दबाव बनाना शुरू किया। 31 मार्च को संजय ने रिया और विशाल को फिर से नवी मुंबई बुला लिया। यहीं से शुरू हुआ एक शातिर खेल, जिसने एक मासूम की जान ले ली।

ब्लैकमेलिंग, गुस्सा और फिर कत्ल

1 अप्रैल की रात, संजय ने रिया और विशाल के रोमांटिक पल अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिए और रिया को ब्लैकमेल करने लगा। उसने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर रिया से शारीरिक संबंध की मांग की। गुस्से और डर के कारण रिया और विशाल ने संजय की हत्या की योजना बना डाली। आरोपियों ने संजय के सिर पर हथौड़े से कई बार वार किया और उसकी आंखें तक निकाल दीं ताकि पहचान न हो पाए।

फरार लेकिन फंस गए

हत्या के बाद कपल संजय की टैक्सी लेकर भाग निकले, लेकिन विशाल कार चलाना नहीं जानता था। उन्होंने नासिक और पुणे में कई छोटी दुर्घटनाएं कीं, जिससे पुलिस को सुराग मिले। अंततः पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। पुलिस अब फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल वीडियो और हत्या में इस्तेमाल हथियारों के आधार पर केस को मजबूत बना रही है।

निष्कर्ष: भरोसे के नाम पर धोखा

इस घटना ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भरोसे और हमदर्दी के नाम पर कितना बड़ा धोखा मिल सकता है। एक इंसान जिसने मदद की, उसी की जिंदगी छीन ली गई। प्रेम और लालच का अंधापन जब सिर चढ़कर बोलता है, तब इंसानियत की मौत हो जाती है।

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