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प्रेग्नेंट बीवी तड़पती रही, घर पर एक्यूप्रेशर देता रहा हैवान पति, बांटता था ज्ञान और फिर खेल खत्म

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केरल के मल्लापुरम ज़िले से एक हिला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक यूट्यूबर पति ने आधुनिक चिकित्सा को दरकिनार कर घर पर डिलीवरी कराने की जिद में अपनी पत्नी की जान गंवा दी। 35 वर्षीय अस्मा की मौत बिना किसी मेडिकल मदद के घर पर बच्चे को जन्म देने के दौरान हुई, जब पति एक्यूपंक्चर तकनीक से उसकी मदद करने में जुटा था।

कौन थीं अस्मा और क्या हुआ उस रात?

अस्मा एक घरेलू महिला थीं और यह उनका पांचवां प्रसव था। पहले दो बच्चों का जन्म अस्पताल में हुआ, लेकिन पति सिराजुद्दीन की सोच बदल चुकी थी। वह यूट्यूब पर धार्मिक और वैकल्पिक चिकित्सा से जुड़े वीडियो बनाता था, और उसने अपने चैनल पर अस्पताल में डिलीवरी को गलत बताना शुरू किया।

5 अप्रैल की रात जब अस्मा को लेबर पेन शुरू हुआ, तो सिराजुद्दीन ने डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय घर पर एक्यूपंक्चर से डिलीवरी कराने का फैसला किया। लेकिन डिलीवरी के बाद अस्मा की हालत बिगड़ती गई और ज्यादा खून बहने से उसकी मौत हो गई।

न डॉक्टर, न एंबुलेंस – बस अंधविश्वास और जिद

सबसे दर्दनाक पहलू यह रहा कि अस्मा की हालत बिगड़ने के बावजूद पति ने कोई मेडिकल सहायता नहीं ली। यहां तक कि उसकी मौत के बाद भी, सिराजुद्दीन ने शव को चुपचाप एर्नाकुलम जिले के पेरुम्बवूर में दफनाने की कोशिश की, ताकि मामला सामने न आए।

पुलिस की जांच में सामने आया है कि डिलीवरी के समय फातिमा नाम की एक महिला और उसका बेटा अबूबकर सिद्दीकी भी मौजूद थे, जिन्होंने बिना किसी मेडिकल ट्रेनिंग के डिलीवरी में "मदद" की। अब इन दोनों को भी हिरासत में लिया गया है।

यूट्यूब पर 'घर की डिलीवरी' का प्रचार, अब खुद ही फंस गया

सिराजुद्दीन का यूट्यूब चैनल “Madavoor Qafila” धार्मिक विषयों से जुड़ा है, जिसके करीब 65 हजार सब्सक्राइबर हैं। जांच में पता चला है कि उसने अपने कई वीडियोज़ में अस्पतालों को अनावश्यक और गैर-इस्लामिक बताकर लोगों को घर पर डिलीवरी कराने के लिए प्रेरित किया।

स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने इस मामले को "सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि हत्या के समान अपराध" बताया है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य अधिकारों का उल्लंघन हैं।

कानूनी कार्रवाई: हत्या का केस दर्ज

पुलिस ने सिराजुद्दीन पर IPC की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और 238 (सबूत मिटाना) के तहत केस दर्ज किया है। अस्मा के परिवार ने भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। फिलहाल, अस्मा का नवजात शिशु अस्पताल में भर्ती है और डॉक्टरों की निगरानी में है।

निष्कर्ष: अंधविश्वास का अंजाम हमेशा दर्दनाक होता है

यह घटना सिर्फ एक घरेलू लापरवाही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतावनी है। जब धर्म, यूट्यूब ज्ञान और मेडिकल विज्ञान को अनदेखा करने की जिद मिलती है, तब उसके अंजाम भयावह हो सकते हैं। अस्मा की मौत ने यह साबित कर दिया है कि हर जान की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर और सुरक्षित व्यवस्था अनिवार्य है।

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