हरिद्वार, 29 मई . देवभूमि विकास संस्थान के तत्वावधान में गुरुवार को आयाजित बैठक में समाज में तेजी से बढ़ती तलाक की प्रवृत्ति एवं इससे निवारण के उपाय पर विचार हुआ. बैठक स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज के सान्निध्य में तथा हरिद्वार सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई.
स्वामी अवधेशानंद ने इस अवसर पर प्री-वेडिंग काउंसलिंग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए चार महत्वपूर्ण वर्गों के लिए मार्गदर्शन की बात कही. जिनमें पहले विवाह योग्य जोड़ों को शामिल किया गया, जिनकी निकट भविष्य में शादी होने जा रही है. उन्हें वैवाहिक जीवन की वास्तविकताओं के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार करना आवश्यक है. दूसरे चरण में उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले युवाओं को जो विश्वविद्यालय की नई जीवनशैली में प्रवेश कर रहे हैं, उन्हें नैतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक मूल्यों से परिचित कराना जरूरी है. तीसरे चरण में माता-पिता के लिए भी मार्गदर्शन को आवश्यक बताया गया, जो अपनी संतानों को संस्कारित जीवन के लिए प्रेरित कर सकते हैं और स्वयं भी समर्पण और संवाद का उदाहरण बन सकते हैं. चौथे वर्ग में उन लोगों को शामिल करने की जरूरत बताई गई जो स्वयं भुक्तभोगी हैं और तलाक या संबंध-विच्छेद की पीड़ा से गुजर चुके हैं, उनके अनुभवों से समाज को सीखने की आवश्यकता है.
साथ ही कहा कि विवाह केवल सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है, जिसमें समझ, सहनशीलता और समर्पण आवश्यक है.
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लिव-इन रिलेशनशिप के दुष्परिणामों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रवृत्ति न केवल पारिवारिक ढांचे को प्रभावित कर रही है, बल्कि समाज में अस्थिरता और असमंजस भी बढ़ा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देने के लिए संस्थागत प्रयास आवश्यक हैं.
बैठक में रमेंद्री मंद्रवाल, एडवोकेट रवि नेगी, सतेंद्र नेगी, डॉ राकेश भट्ट, प्रमोद रावत, डॉ एचसी पुरोहित, कृति रावत, यशवंत रावत समेत विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, समाजसेवियों तथा युवा प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. देवभूमि विकास संस्थान इस दिशा में शीघ्र ही प्री-वेडिंग काउंसलिंग सत्रों की श्रृंखला आरंभ करने जा रहा है, जिससे परिवार संस्था को मजबूत किया जा सके और युवाओं को वैवाहिक जीवन के लिए तैयार किया जा सके.
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/ डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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