कोलकाता, 21 मई . फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल कराने वाले विदेशी नागरिकों, खासकर बांग्लादेशियों की पहचान कर उनकी तलाश की जा रही है. कोलकाता पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले में सक्रिय हो गई हैं.
एक अधिकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल ही में कोलकाता से गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद मलिक की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आज़ाद ने पहले बांग्लादेश की नागरिकता प्राप्त की और फिर फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए भारत की नागरिकता हासिल कर ली. उसके पास मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी), आधार कार्ड और भारतीय पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ पाए गए हैं.
जांच में सामने आया है कि आज़ाद मलिक उत्तर 24 परगना ज़िले के दमदम उत्तर विधानसभा क्षेत्र में वोटर के रूप में पंजीकृत था. यह विधानसभा क्षेत्र दमदम लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. अधिकारियों के अनुसार, आज़ाद ने वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव—दोनों में मतदान किया था.
सूत्रों ने बताया कि आज़ाद मलिक अकेला ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसने फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे भारतीय मतदाता बनने का प्रयास किया. जांच में सामने आया है कि कई अन्य विदेशी नागरिकों ने भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाकर मतदाता सूची में नाम जुड़वाए और चुनावों में भाग लिया.
सभी आरोपितों ने बार-बार चुनावों में वोट डालकर भारत में अपनी नागरिकता स्थापित करने का प्रयास किया. अब एजेंसियां उन सभी व्यक्तियों की पहचान कर रही हैं जो इस अवैध नेटवर्क का हिस्सा बने और फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए भारतीय पहचान प्राप्त की.
जांच एजेंसियों का कहना है कि यह सिर्फ फर्जी मतदाता बनाने का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला है, जिसकी तह तक जाने के लिए विभिन्न एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं.
/ ओम पराशर
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