शाह वलीउल्ला भारत में मुस्लिम अलगाववाद का जनक है जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ
भोपाल, 13 अप्रैल . यंग थिंकर्स फोरम द्वारा रविवार को राजधानी भोपाल की स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में ‘शाह वलीउल्ला और वहाबी आंदोलन’ पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. जिसमें कि मुख्य वक्ता श्रीकृष्ण श्रीवास्तव ने बताया कि इस्लामी जगत में मशहूर शाह वलीउल्ला ने ही वहाबी आंदोलन शुरू किया था. इसका लक्ष्य था पूरे भारत में फिर से इस्लामी शासन स्थापित करना, जिसके लिए इसने तत्कालीन मुगल शासकों को पत्र लिखे और तत्कालीन मराठों व जाट शासकों के विरुद्ध इस्लामी जिहाद शुरू करने का आग्रह किया. उन्होंने बताया कि इसी ने अफगानी शासक अहमद शाह अब्दाली को पत्र लिखा और कहा “इस्लाम खतरे में एक तुम्हीं हो जो भारत में इस्लाम की सत्ता को फिर से स्थापित कर सकते हो.”
मुस्लिमों के भारतीयकरण का विरोधी और अरबीकरण का पक्षधर था वलीउल्लाह
मुख्यवक्ता श्रीकृष्ण श्रीवास्तव ने अपने इस उद्बोधन के जरिए यह भी जानकारी दी कि वालिउल्ला अपनी वसीयत में कहता है कि “हम यहां परदेशी हैं, हमारे लिए अरबी भाषा और अरबी वंशावली सम्मान का विषय है. इसलिए जहां तक हो सके उन आदतों और रीति रिवाजों को जो अरब से हमारे साथ आईं थी हम हाथ से जाने न दें. और हिन्दुओं की आदतों और रीति रिवाजों को हम अपने में न आने दें. श्रीवास्तव जी ने बताया कि शाह वलीउल्ला हिन्दुओं को कुत्तों का दर्जा देता था. उन्होंने इसके दस्तावेजी उद्धरण भी दिए. शाह वलीउल्ला का कहना था कि गैर मुस्लिम को मारना इस्लाम का लाभ है. औरंगज़ेब से लेकर जिन्ना, मौलाना आजाद और इक़बाल तक सभी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे. उन्होंने कहा विडंबना तो यह है कि न तो कोई इसके बारे में जानता है और उल्टा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी यूनिवर्सिटीज में इसको महान पढ़ाया जाता है.
उल्लेखनीय है कि फोरम द्वारा आयोजित ‘मुस्लिम पॉलिटिक्स इन इंडिया’ शृंखला का यह दूसरा व्याख्यान था. इसमें अन्य चार विषय शेख अहमद सरहिंदी और मुग़ल शासक, सर सैयद अहमद खान और अलीगढ़ मूवमेंट, गांधीजी, मौलाना अली जौहर और खिलाफत मूवमेंट और जिन्ना और पाकिस्तान आनेवाले दिनों में पूरे होंगे. रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन जय वेद पाराशर ने किया.
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/ डॉ. मयंक चतुर्वेदी