गांधीनगर, 09 अगस्त (Udaipur Kiran) । गुजरात की देवभूमि द्वारका के भाणवड तहसील के कपूरडी-घुमली रोड क्षेत्र टींबडी में राज्य स्तरीय ‘विश्व शेर दिवस’ 10 अगस्त को मनाया जाएगा। राज्य में शेरों की कुल आबादी वर्ष 2020 की तुलना में 32 प्रतिशत बढ़ी है। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव तथा गुजरात के वन एवं पर्यावरण मंत्री मुळुभाई बेरा की विशेष उपस्थिति में राज्य स्तरीय ‘विश्व शेर दिवस’ 10 अगस्त 2025 रविवार को सुबह 10 बजे भव्य रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर राज्य के जल संसाधन मंत्री कुँवरजी बावळिया तथा वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मुकेश पटेल अतिथि विशेष के रूप में उपस्थित रहेंगे।
राज्य के वन विभाग ने इस संबंध में शनिवार को बताया कि जंगल के राजा शेर के प्रति नागरिकों में अधिक से अधिक जागरूकता लाने और शेरों के उचित संवर्धन-संरक्षण के उद्देश्य से गुजरात सहित विश्वभर में हर वर्ष 10 अगस्त को ‘विश्व शेर दिवस’ मनाया जाता है। समग्र देश में एकमात्र गुजरात में बसने वाले एशियाई शेर राज्य के आभूषण-गौरव समान हैं। एशियाई शेर देश में केवल सौराष्ट्र क्षेत्र के लगभग 11 जिलों में प्राकृतिक वातावरण में मुक्त रूप से विचरण करते हुए पाए जाते हैं।
वन विभाग के उपक्रम से सौराष्ट्र के 11 जिलों जूनागढ, गीर सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, मोरबी, सुरेन्द्रनगर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, अमरेली, पोरबंदर तथा बोटाद में ‘विश्व शेर दिवस’ मनाया जाएगा।
गौरतलब है कि ‘विश्व शेर दिवस’ वर्ष मनाने की शुरुआत 2013 से हुई है। गुजरात में मनाए गए ‘विश्व शेर दिवस’ उत्सव को वर्ष 2016 में वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया, वर्ष 2017 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्स व एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वर्ष 2019 में वर्ल्ड बुक ऑफ इंडिया एवं वर्ष 2022 में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला है।विभाग के अनुसार ‘बरडो’ (बरडा) के रूप में जाना जाने वाला ‘बरडा वन्यजीव अभयारण्य’ गुजरात के पोरबंदर तथा देवभूमि द्वारका जिलों में स्थित अति महत्वपूर्ण जैव विविधता वाले प्रदेशों में एक है। वर्ष 1979 में अभयारण्य के रूप में घोषित हुआ बरडा अतीत में पोरबंदर तथा जामनगर राजवंशों का शिकार क्षेत्र था। आज यह एशियाटिक शेरों के संरक्षण के लिए विकसित किए गए व्यापक दृष्टिकोण वाला महत्वपूर्ण आवास बन गया है।
बरडा क्षेत्र शेरों के द्वितीय निवास स्थान के रूप में पहचान हासिल कर रहा है। इस बरडा अभयारण्य का कुल क्षेत्र 192.31 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 1879 के बाद वर्ष 2023 में एशियाटिक शेरों में से एक वयस्क नर प्राकृतिक रूप से इस क्षेत्र में आकर स्थायी हुआ। तब से आज इस क्षेत्र में शेरों की आबादी 6 वयस्क तथा 11 शावक सहित कुल 18 दर्ज हुई है।
विभाग ने बताया कि इस क्षेत्र में जंगल सफारी शुरू करने के साथ रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। मार्च 2025 तक 2271 पर्यटकों ने इस सुविधा का लाभ लिया है। राज्य सरकार द्वारा देवळिया तथा आंबरडी के अलावा बरडा क्षेत्र में कुल 248 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जहाँ लगभग 60 करोड़ की लागत से सफारी सुविधा स्थापित करने का आयोजन किया गया है। साथ ही बरडा क्षेत्र में इको टूरिज्म के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मई 2025 के दौरान राज्य में हुई शेर गणना के अनुमान के अनुसार शेरों की कुल आबादी वर्ष 2020 की तुलना में 32 प्रतिशत बढ़ी है। यानी शेरों की संख्या 674 से बढ़कर 891 दर्ज हुई है। पर्यटन की दृष्टि से देखें, तो वर्ष 2007-08 से 2024-25 तक गिर अभयारण्य, देवळिया तथा आंबरडी आए 9.61 लाख से अधिक पर्यटकों को एशियाटिक शेरों को नजदीक से निहारने का अवसर मिला है। इतना ही नहीं, राज्य में कुल 11 जिलों में लगभग 35000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में शेरों की उपस्थिति दर्ज हुई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त 2020 में 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से शेरों के दीर्घकालीन संरक्षण के लिए कार्य करने का संकल्प तथा प्रतिबद्धता दर्शाकर देश में एशियाटिक शेरों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए ‘प्रोजेक्ट लायन’ की घोषणा की थी। भारत सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 10 वर्ष के लिए कुल लगभग 2927.71 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मंजूर किया गया है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि गिर का जंगल भव्य एशियाई शेरों के एक मात्र घर के रूप में विख्यात है। गिर वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1965 में की गई थी। इसके बाद 1975 में गिर राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की गई। गिर राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र 258.71 वर्ग किलोमीटर है, जबकि गिर वन्यजीव अभयारण्य 1151.59 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। गिर जंगल में गिर राष्ट्रीय उद्यान, गिर वन्यजीव अभयारण्य, पाणिया वन्यजीव अभयारण्य, मितियाळा वन्यजीव अभयारण्य तथा तीन जिलों जूनागढ़, गिर सोमनाथ और अमरेली तक फैला क्षेत्र शामिल हैं। गिर जंगल का अनूठा एवं विविधतापूर्ण इकोसिस्टम 631 दर्ज प्रजातियों के साथ वनस्पतियों की अति समृद्ध विविधता से युक्त है। प्राणीसृष्टि की विविधता में सस्तन प्राणियों की 41 प्रजातियाँ, पक्षियों की 338 प्रजातियाँ, सरीसृप वर्ग की 47 प्रजातियाँ शामिल हैं।
इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा वन्यप्राणी स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय स्तर के ‘नेशनल रेफरल सेंटर’ का प्रोजेक्ट मंजूर किया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार द्वारा नवा पीपळिया में 20.24 हेक्टेयर भूमि भी आवंटित की गई है, जिसका कार्य हाल में प्रगति पर है। सासण में गिर क्षेत्र के वन्यप्राणियों की मॉनिटरिंग के लिए एक हाईटेक मॉनिटरिंग केन्द्र और वेटनरी अस्पताल बनाया गया है।
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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad
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