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प्रसिद्ध लेखिका अद्वैता काला ने भारतीय नारी कल, आज और कल विषय पर प्रभावी संबोधन दिया

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उज्जैन, 12 अप्रैल . मुगलों के आक्रमण ने भारत में महिलाओं की स्थिति को आसमान से जमीन पर लाकर पटक दिया. यहां तक कि अंग्रेजों ने भी भारतीय महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया केवल बातें की. जबकि वेदों में महिलाओं को बराबरी के अधिकार दिए गए थे. यह बात सुप्रसिद्ध लेखिका अद्वैत काला ने डॉक्टर हेडगेवार स्मृति व्याख्यानमाला की द्वितीय संध्या पर लोकमान्य टिळक विद्यालय परिसर,नीलगंगा के मुक्ताकाशी मंच पर कही. वे शनिवार को भारतीय नारी कल, आज और कल विषय पर विचार रख रही थीं.

उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में व्यवस्था दी गई है यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता: मैंने मनुस्मृति का नाम इसलिए लिया क्योंकि उसके विरोध में एक संगठित नैरेटिव बनाया जा रहा है जबकि वास्तविकता कुछ और है. एक व्यवस्थित तरीके से भारतीय सभ्यता को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा है. भारतीय वेदों , रामायण, महाभारत सभी ग्रंथों में गार्गी, मैत्रेयी , सीता हैं. किसी ने ऋग्वेद रचा , किसी ने स्वयंवर किया, किसी ने शास्त्रार्थ किया. हम बाल विवाह पर इसलिए विवश हुए क्योंकि वहां 9 साल की बच्ची से अनुमति थी और वही अनुमति वह यहां लेकर आए थे. हम बाल विवाह अपनी बच्चियों का नहीं करते तो क्या करते . जौहर जैसी प्रथा ही इन्हीं कारणों से आई . उन्होंने किले जीते और महिलाओं को भी जीतना चाहा . हमारे युद्धों में पहले ऐसा नहीं होता था. एक-एक कर महिलाएं समाज में पीछे हटने लगीं और आज भी वहां हैं जहां उनके लिए बात ही कर पा रहे हैं. विक्टोरियन मानसिकता भी भारतीय महिलाओं के शोषण की थी . अंग्रेज कहते रहे लेकिन उन्होंने महिलाओं के लिए कुछ विशेष नहीं किया . केवल उनकी पब्लिसिटी जोरदार थी

अध्यक्षता अमिता जैन भारतीय जैन संघटना ने की. संचालन डॉ माधवी वर्मा ने किया. समिति अध्यक्ष नितिन गरुड़, सचिव गोपाल गुप्ता ने स्वागत किया.

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/ ललित ज्‍वेल

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