बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर और फिल्ममेकर फराह खान हमेशा अपने बेबाक अंदाज और दिलकश काम से सुर्खियां बटोरती हैं। चाहे उनकी फिल्में हों, रियलिटी शो हों, या फिर उनका यूट्यूब चैनल, फराह हर जगह धमाल मचाती हैं। लेकिन हाल ही में एक फैन के सवाल ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया। इस बार बात थी धर्म की, नमाज की, और इंसानियत की। फराह ने जिस तरह से जवाब दिया, उसने न सिर्फ फैन का दिल जीता, बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
फैन का सवाल, धर्म की बात
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक फैन ने फराह खान से बेहद निजी और संवेदनशील सवाल पूछा। फैन, जिसका नाम शबाना था, ने जानना चाहा कि क्या फराह भगवान में विश्वास करती हैं? क्या वे रमजान में रोजा रखती हैं और दिन में पांच बार नमाज पढ़ती हैं? शबाना ने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि फराह शायद ये सब नहीं करतीं, जैसा कि सिंगर लकी अली करते हैं। इतना ही नहीं, शबाना ने बॉलीवुड के अन्य मुस्लिम सितारों जैसे शाहरुख खान, आमिर खान और सलमान खान के धर्म के प्रति समर्पण पर भी सवाल उठाया। अमेरिका में रहने वाली शबाना का यह सवाल जिज्ञासा से भरा था, लेकिन इसमें एक तरह का तंज भी झलक रहा था।
फराह का जवाब, इंसानियत का पैगाम
फराह खान ने शबाना के इस सवाल का जवाब अपने चिर-परिचित बेबाक और साफगोई भरे अंदाज में दिया। उन्होंने लिखा कि वे भले ही दिन में पांच बार नमाज न पढ़ती हों, लेकिन वे रमजान में रोजा जरूर रखती हैं। इसके अलावा, वे अपनी कमाई का एक हिस्सा जकात के रूप में दान करती हैं। फराह ने यह भी बताया कि वे हमेशा लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करती हैं, ईमानदारी से काम करती हैं, और मेहनत में विश्वास रखती हैं। उनके लिए यह सब दिन में पांच बार नमाज पढ़ने से कहीं ज्यादा मायने रखता है। फराह का यह जवाब न सिर्फ शबाना के सवाल का करारा जवाब था, बल्कि यह एक संदेश था कि धर्म का असली मतलब है इंसानियत और अच्छाई।
फराह की जिंदगी, एक मिसाल
फराह खान की जिंदगी हमेशा से प्रेरणादायक रही है। एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली फराह ने पंजाबी मूल के शिरीष कुंदर से शादी की। उनकी जिंदगी में धर्म और संस्कृति का खूबसूरत मेल देखने को मिलता है। वे न सिर्फ एक सफल कोरियोग्राफर और डायरेक्टर हैं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत भी हैं, जो अपने काम और व्यवहार से लोगों का दिल जीतती हैं। इस जवाब में भी उनकी यही खूबी झलकी। उन्होंने न तो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, न ही बहस को बढ़ावा दिया। बल्कि, उन्होंने अपने जवाब से यह दिखाया कि धर्म का मतलब है अच्छाई और दूसरों के लिए कुछ करना।
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