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नेपाल में Gen-Z का तूफान: हिंदू राष्ट्र की मांग, कौन बनेगा नया PM?

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नेपाल में चल रहे विरोध प्रदर्शन और उपद्रव ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। वॉट्सऐप, फेसबुक सहित 26 ऐप्स पर प्रतिबंध के बाद शुरू हुए इस आंदोलन ने कानून व्यवस्था को चरमरा दिया, जिसके बाद नेपाल सेना को मोर्चा संभालना पड़ा। अब सेना की मध्यस्थता के बाद प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों के बीच अंतरिम सरकार के गठन पर सहमति बन गई है। इस बीच, Gen-Z ने ऑनलाइन बैठक में नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठाई है और कई बड़े प्रस्ताव पास किए हैं। आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला।

सेना ने संभाला मोर्चा, सुशीला कार्की बनेंगी अंतरिम PM?

नेपाल में तीन दिन तक चले उपद्रव, जेल तोड़ने की घटनाओं और सरकारी दफ्तरों में आगजनी के बाद सेना ने स्थिति को नियंत्रण में लिया। बुधवार दोपहर तक हालात पर काबू पाया गया और सेना की मध्यस्थता में प्रदर्शनकारियों व राजनीतिक दलों की बैठक हुई। इस बैठक में नेपाल की पहली महिला न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव सामने आया। हालांकि, एक गुट ने बालेन शाह को PM बनाने की मांग के साथ सेना मुख्यालय का रुख किया है। क्या यह प्रस्ताव अंतरिम सरकार तक पहुंचा? इस पर अभी स्थिति साफ नहीं है।

Gen-Z की मांग: हिंदू राष्ट्र और नया संविधान

Gen-Z ने लगभग 7800 सदस्यों की पांच घंटे की ऑनलाइन बैठक में कई बड़े फैसले लिए। 92% सदस्यों ने सुशीला कार्की या बालेन शाह को PM बनाने के साथ-साथ नया संविधान बनाने का प्रस्ताव पास किया। इस संविधान में नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग सबसे अहम रही। युवाओं का कहना है कि नेपाल की सांस्कृतिक विरासत हिंदू धर्म से जुड़ी है, इसलिए इसे हिंदू राष्ट्र का दर्जा मिलना चाहिए। इसके अलावा, मौजूदा संसद को भंग कर दो महीने में नया संविधान और छह महीने में संघीय संसद का चुनाव कराने की मांग भी उठी।

भ्रष्टाचार पर सख्ती, नेताओं की संपत्ति की जांच

Gen-Z ने भ्रष्टाचार को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया। बैठक में संसद भवन में हुए नरसंहार के लिए तत्कालीन PM, गृहमंत्री और अन्य जिम्मेदारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की गई। साथ ही, 46 साल से ज्यादा समय तक सार्वजनिक पदों पर रहे नेताओं की संपत्ति की जांच और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही गई। युवाओं का कहना है कि भ्रष्टाचारियों ने जनता के पैसे से अपनी तिजोरियां भरी हैं, अब इन पर नकेल कसने का वक्त है। इसके लिए सभी भ्रष्टाचार कांडों की स्वतंत्र और न्यायिक जांच की मांग भी उठी।

नई पीढ़ी को मौका, प्रांतीय संरचना खत्म हो

Gen-Z ने राजनीति में नई पीढ़ी को मौका देने की वकालत की। प्रस्ताव पास हुआ कि छह महीने में संघीय संसद का चुनाव हो और दो महीने में नया संविधान लागू हो, जिसमें नेपाल हिंदू राष्ट्र हो। साथ ही, प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी प्रमुख की व्यवस्था हो और सांसदों को मंत्री बनाने पर रोक लगे। प्रांतीय संरचना को पूरी तरह खत्म कर केवल स्थानीय और संघीय व्यवस्था रखने की बात कही गई। राष्ट्रीय सभा और स्थानीय निकायों को गैर-दलीय बनाने, साथ ही पत्रकारों, शिक्षकों, चिकित्सकों और कर्मचारियों के दलगत संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी पास हुआ।

नौकरियों में मेरिट, दलगत नियुक्तियां रद हों

युवाओं ने रोजगार के मुद्दे पर भी अपनी आवाज बुलंद की। उनका आरोप है कि सत्ताधारी दल अपने लोगों को सरकारी नौकरियां दे देते हैं, जिससे पात्र युवा बेरोजगार रह जाते हैं। प्रस्ताव पास हुआ कि अख्तियार, न्यायालय और संवैधानिक परिषदों में दलगत नियुक्तियां तुरंत रद हों और मेरिट के आधार पर भर्तियां की जाएं। यह मांग आंदोलन के पीछे एक बड़ा कारण रही।

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