देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी अब और नहीं चलेगी। शिक्षा को व्यवसाय का अड्डा बनाने की कोशिश कर रहे स्कूलों पर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। अभिभावकों की शिकायतों के बाद फीस वृद्धि, किताबों और ड्रेस की खरीद पर दबाव जैसी अनियमितताओं की जांच तेज हो गई है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि नियम तोड़ने वाले स्कूलों की मान्यता तक रद्द हो सकती है। यह कदम न केवल अभिभावकों को राहत देगा, बल्कि शिक्षा के मंदिर की पवित्रता को भी बनाए रखेगा।
अभिभावकों की शिकायतों ने खोली पोल
पिछले कुछ समय से देहरादून के अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान थे। अनाप-शनाप फीस वृद्धि, किसी खास दुकान से किताबें और ड्रेस खरीदने का दबाव, और बच्चों के साथ भेदभाव की शिकायतें आम हो गई थीं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए। जिला प्रशासन की एक विशेष टीम अब स्कूलों की कार्यप्रणाली की गहन जांच कर रही है। अभिभावकों का कहना है कि यह कदम उनके लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
नोटिस और तलबी का दौर
प्रशासन की सख्ती का असर दिखने लगा है। मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने हाल ही में सेंट जोसेफ, पायनियर, संत कबीर एकेडमी, फ्लावर डेल और माउंट लिट्रा जैसे स्कूलों के संचालकों को समीक्षा बैठक में बुलाया। लेकिन फ्लावर डेल और माउंट लिट्रा ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया, जिसके चलते दोनों स्कूलों को नोटिस जारी कर दिया गया। वहीं, संत कबीर एकेडमी ने सक्षम प्रतिनिधि नहीं भेजा, जिसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल को 15 अप्रैल को तलब किया गया है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
फीस और ड्रेस पर सख्त नियम
मुख्य विकास अधिकारी ने स्कूल संचालकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि फीस वृद्धि आरटीई एक्ट के तहत तीन साल में अधिकतम 10% तक ही हो सकती है। इसके अलावा, अभिभावकों को किसी खास दुकान से किताबें या ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। स्कूलों को फीस, किताबों और ड्रेस को लेकर एक स्पष्ट एडवाइजरी जारी करने के लिए कहा गया है, जिसमें यह जिक्र हो कि अभिभावक अपनी मर्जी से किसी भी दुकान से सामान खरीद सकते हैं। यह नियम अभिभावकों को आर्थिक बोझ से राहत देगा और उनकी पसंद की आजादी को सुनिश्चित करेगा।
एक स्कूल प्रिंसिपल पर गिरी गाज
श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल की मनमानी भी प्रशासन के रडार पर आ गई। एक आठवीं कक्षा के छात्र को नौवीं कक्षा में प्रवेश न देने और अभिभावकों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी ने स्कूल प्रबंधन को प्रिंसिपल को हटाने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई न केवल स्कूलों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
पहले भी हुई कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब देहरादून प्रशासन ने निजी स्कूलों पर नकेल कसी है। इससे पहले सेंट जोसेफ, ज्ञानंदा और एन. मैरी जैसे स्कूलों की शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है। अभिभावकों की समस्याओं को सुनने और उनका त्वरित समाधान करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता ने लोगों का भरोसा बढ़ाया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार ढौंडियाल ने कहा कि सभी स्कूलों की शिक्षण गुणवत्ता और नियमों की पालना की गहन जांच की जाएगी।
देहरादून प्रशासन का यह सख्त रुख शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाता है। अभिभावकों को अब यह भरोसा है कि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। स्कूलों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और शिक्षा को व्यवसाय की बजाय सेवा के रूप में देखना होगा। हमारी अपील है कि अभिभावक भी अपनी शिकायतें बेझिझक प्रशासन तक पहुंचाएं, ताकि मिलकर हम शिक्षा के मंदिर को और मजबूत बना सकें।
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