लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एमएलसी चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है, और कांग्रेस ने इस रेस में अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। गुरुवार को पार्टी ने पांच एमएलसी सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। यह कदम कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वह यूपी में अपनी सियासी जमीन को और मजबूत करना चाहती है। आइए, जानते हैं इस घोषणा के बारे में विस्तार से।
कांग्रेस के ये हैं 5 उम्मीदवारकांग्रेस ने इस बार जिन पांच उम्मीदवारों पर दांव लगाया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
- मेरठ-सहारनपुर स्नातक सीट: विक्रांत वशिष्ठ
- आगरा स्नातक सीट: रघुराज सिंह पाल
- लखनऊ स्नातक सीट: डॉ. देवमणि तिवारी
- वाराणसी शिक्षक सीट: संजय प्रियदर्शी
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस इस बार सभी 11 एमएलसी सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, “हम पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर रहे हैं, और इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।” यह बयान यूपी की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है।
सपा से दूरी, नई रणनीतिगुरुवार को ही समाजवादी पार्टी ने भी अपने पांच एमएलसी उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था। गौरतलब है कि कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन का इतिहास रहा है, लेकिन यह गठजोड़ केवल विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक सीमित था। इस बार एमएलसी चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग रास्ते पर चल रही हैं। कांग्रेस का यह फैसला सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
कांग्रेस की मजबूत रणनीतिसियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम सोच-समझकर उठाया गया है। पार्टी यूपी में अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। एमएलसी चुनाव में सभी 11 सीटों पर अकेले उतरने का फैसला कांग्रेस की आत्मविश्वास भरी रणनीति को दिखाता है। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम न सिर्फ पार्टी की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि यूपी की सियासत में उसकी पकड़ को भी बढ़ाएगा।
क्या कांग्रेस का यह दांव यूपी में उसकी सियासी ताकत को बढ़ाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह घोषणा सियासी गलियारों में हलचल मचा रही है।
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